परिचय
- भारत में डोप परीक्षण प्रयोगशाला को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) द्वारा स्थायी रूप से मानव खेलों में प्रतिबंधित दवाओं के परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था ।
- शुरूआत होने के बाद से प्रयोगशाला ने कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए सफलतापूर्वक नमूना परीक्षण पूरा कर लिया है
- प्रयोगशाला पहले जेएन स्टेडियम में स्थित थी और नई सुविधाओं के साथ 14 मई 2009 को नई साइट पर स्थानांतरित हो गई है। नई राडोपप्र प्रयोगशाला का क्षेत्रफल 2700 वर्ग मीटर है, जबकि पहले केवल 900 वर्ग मीटर के क्षेत्र में था. कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के लिए प्रयोगशाला की परिक्षण छमताओ को बढाकर 5000 नमूनों तक कर दिया गया।
कालानुक्रमिक उपलब्धियां:
- भारत में डोप टेस्टिंग लैब को 1990 में स्थापित किया गया था (भारतीय खेल प्राधिकरण के तहत डोप नियंत्रण केंद्र के रूप में)। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक आयोग और वाडा द्वारा इसे स्थायी रूप से मान्यता प्राप्त करने के उद्देश्य से 2002 में प्रयोगशाला का आधुनिकीकरण किया गया था।
- प्रयोगशाला को 2003 में आईएसओ / आईईसी 17025 मान्यता प्राप्त हुई जो वाडा मान्यता के आवेदन करने के लिए अनिवार्य थी।
चूंकि भारत में खेल प्राधिकरण खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार है, इसलिए हित में टकराव ना हो इस मद्देनजर देश में एंटी डोपिंग प्रोग्राम को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार स्वतंत्र निकाय का निर्णय लिया गया। - केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डोपिंग विरोधी घोषणापत्र पर दिसंबर 2004 हस्ताक्षर किया और राष्ट्रीय एन्टी डोपिंग एजेंसी स्थापित करने का निर्णय लिया।
राष्ट्रीय एन्टी डोपिंग एजेंसी (नाडा),2007 में दर्ज किया गया जो जिम्मेदार है शिक्षा, परीक्षण योजना, परिणाम प्रबंधन और वाडो के विरोधी डोपिंग कोड को कार्यन्वयत करने के लिय -
राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला (राडोपप्र)2008 में पंजीकृत किया गया था जो जिम्मेबार है नमूनों का विश्लेषणात्मक परीक्षण एवं अनुसंधान के लिय
नाडा का नेतृत्व महानिदेशक और राडोपप्र की अध्यक्षता मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जो सचिव (खेल) है करते है। - राडोपप्र की पहली जनरल बॉडी / गवर्निंग बॉडी की बैठक 5 जनवरी 2009 को माननीय मंत्री वाई ए एंड एस की अध्यक्षता में हुई थी। भर्ती नियम, डोप टेस्टिंग के लिए टैरिफ, सीडब्ल्यूजी 2010 के लिए कार्य योजना को अनुमोदित किया गया था।
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के लिए प्रयोगशाला की परिक्षण छमताओ को बढ़ाया गया और प्रयोगशाला को नई सुविधाओं के साथ 14 मई 2009 को नई साइट पर स्थानांतरित की गई है।
- जनवरी 2010 में राडोपप्र की वेबसाइट सफलतापूर्वक शुरू की गई है।
- राडोपप्र अनुसंधान की सुविधाओं को उपलब्ध करने के साथ साथ विभिन्न परियोजनाओं पर शोध करने का कार्य भी करता है।
- राडोपप्र ने अप्रैल 2014 में अपनी घोड़े की डोप परीक्षण सुविधा के लिए एनएबीएल मान्यता हासिल की है एवं हैदराबाद रेस क्लब के नमूनों की नियमित जांच जुलाई 2014 से शुरू कर दी गई।
- ड्रग्स के क्षेत्र में एनटीटीएल को पीटी प्रदाता (आईएसओ / आईईसी 17043: 2010) के रूप में मान्यता मिली।
वाडा कार्यकारी बोर्ड के सदस्य: डॉ अल्काबीट्रा, वैज्ञानिक निदेशक 2015 से 2018 तक WAADS कार्यकारी बोर्ड के लिए नामांकित की - 02 नवंबर, 2016 से प्रयोगशाला निदेशक के रूप में डॉ शीला जैन और 09 जनवरी, 2017 से वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में डॉ तेजिंदर कौर की नियुक्ति हुई.
- श्री राहुल भटनागर, सचिव (खेल), विभाग। खेल विभाग, MYAS दिसंबर, 2017 से मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त हुये
- अगस्त, 2018 से डॉ. पी.एल. साहू की वैज्ञानिक निदेशक के रूप में नियुक्ति हुई
- श्री राधेश्याम जुलानिया, सचिव (खेल), खेल विभाग एमवाईएएस,फरवरी, 2019 से मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)
- श्री एल एस सिंह, संयुक्त सचिव (खेल-विकास), विभाग एमवाईएएस फरवरी, 2020 से खेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)